प्यार करने वालों का अपना इक अंदाज़ होता है
जिधर भी होता है इक बे-वफ़ा साथ होता है |
जज्बातों से खेलना उनकी आदत ही सही मगर
प्यार करने वालों का बस वफ़ा ही साज़ होता है |
प्यार करने वालों का बस वफ़ा ही साज़ होता है |
इस ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव के साथ कई कवि सम्मेलनों और महफ़िलों में शिर्कत करते हुए ज़हन से निकले अहसास, अल्फास बनकर किस तरह तहरीरों में क़ैद हुए मुझे खुद भी इसका अहसास नहीं हुआ | मेरे ज़हन से अंकुरित अहसास अपनी मंजिल पाने को कभी शेर, नज़्म , कता, क्षणिका, ग़ज़ल और न जाने क्या-क्या शक्ल अख्तियार कर गया | मैं काव्य कहने में इतना परिपक्व तो नहीं हूँ | लेकिन प्रस्तुत रचनाएँ मेरी तन्हाइयों की गवाह बनकर आपका स्नेह पाने के लिए आपके हवाले है उम्मीद है आपका सानिध्य पाकर ये रचनाएँ और भी मुखर होंगी |
संभल न पाए राज तो ये राज बदल डालो ये संसद हुई बे-आवाज तो सर-ताज बदल डालो | न-दे जो पुख्ता लोकपाल उस सरकार का क्या करना अन्ना की बन आवाज ये आवाज़ बदल डालो | लाखों दिलों की धड़कन को मुस्कान न दे पाए बे-सुर हुए जब साज़ तो, वो साज़ बदल डालो | दुश्मन अब मैदान में जो खेल खेल रहा है अन्ना तुम भी खेलो वही, अंदाज़ बदल डालो | अन्ना तेरे जोश संग "हर्ष" की ये आवाज़ है गर चाहते हो मंजिल यहाँ, परवाज़ बदल डालो | हर्ष महाजन | |||
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