Monday, December 12, 2016

काला-धन



काला-धन
धूम मची है गलियारों में संसद ने क्या अब ठानी है,
शोर मचा नोट-बंदी पे ज्यूँ अपनी बात मनवानी है |
काले धन के हितकारी जब उठ-उठ तंज बदलने लगे,
अपनी कला दिखा मोदी जी इक-इक ‘पर’ कुचलने लगे |


क्लेशी बोल रहा दिल्ली में, लो वापिस, मोदी खंज़र को,
कलकत्ता, यू० पी० भी गुर्राया, पप्पू संग, इस मंज़र को |
काले-धन के रखवाले अब, आतंक की भाषा बोल रहे,
शोर मचा दो संसद में मत, बोलन दो, इस धुरंधर को |

बहुत हुई अब छीना झपटी सारे पासे उलट गये,
काले धन के बोरे गुप-चुप नालों में सब पलट गये |
ख़बरों में सब देख नाम अब जनता भी आवाक हुई,
शक-शुभा ज़हन में था जो पल में सब वो सुलट गये |

बैंको ने जब दिया साथ तो, मीडिया क्यूँ परेशान हुई ,
हुए बुनियादी किस्से कुछ, पूरी बैंकिंग क्यूँ बदनाम हुई |
हर वर्कर, हर-हर मोदी कर जब, रात-दिन था, जुटा रहा,
जी०टी०वी०, क्या बिगाड़ा इनकी, मेहनत क्यूँ बेदाम हुई |


हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment