Wednesday, February 8, 2017

क्षणिका (ऐ दिल)

क्षणिका
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ऐ दिल !
धड़को !!
खूब धड़को !!!
मगर ----
इतना नहीं ?
कि अपनी
पराकाष्ठा ही भूल जाए ।

--हर्ष महाजन

पराकाष्ठा = चरम सीमा

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